Friday, July 16, 2010
नया प्रतीक नया रा

नई दिल्ली: भारत को अंततः रुपया के लिए एक प्रतीक मिल गया है और वो उन देशो के क्लब में शुमार होगया जिनकी पहचान उनकी अद्वितीय मुद्रा के प्रतीक से होती है .
गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डी उदय कुमार के इस डिजाईन को हरी झंडी दिखा कर भारत को उन देशो की श्रेणी में ला खड़ा किया है जहाँ उनकी पहचान अंतराष्ट्रीय स्तर पर उनकी मुद्राओ को लेकर होती है .
इस डिजाईन में जहाँ देवनागरी का "र" शामिल हैं वहीँ रोमन का R भी मोजूद है , ऊपर दी गयी दो समानांतर रेखाएं तिरंगे का प्रतीक है जो डी उदय कुमार ने कई महीनो की मेहनत का रूप है
नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण अंबिका सोनी ने कहा की " मैंने इसका चयन इसीलिए किया क्योंकि यह भारत के एक ऐसे रूप को दर्शाता है जो सशक्त , स्वस्थ और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान की छाप छोड़ेगा.यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक माना जाएगा .यह उदय कुमार के द्वारा भेजा गया है." उनोहने यह भी कहा कि रुपया का ये प्रतीक आधुनिकता और भारतीय संस्कृति का एक अच्छा मिश्रण किया गया था
चयनित प्रतीक बंबई आई आई टी के छात्र डी उदय कुमार के द्वारा डिजाइन किया गया था और इस प्रतीक को पाँच छोटे सूचीबद्ध प्रतीकों में से चुना गया था .मुद्रा प्रतीक कि इस प्रतिस्प्रधा में ३००० के करीब डिजाईन आये और उन सभी को पीछें छोड़ते हुए उदय कुमार को इस डिजाईन के लिए २.५ लाख रूपए की राशि इनाम में मिली है.
"मेरे डिजाइन पर तिरंगे के बीच में शीर्ष और सफेद स्थान पर दो लाइनों के साथ आधारित है मैं चाहता था कि रपय का ये प्रतीक भारतीय ध्वज का प्रतिनिधित्व करे .. यह भारतीय और रोमन अक्षरों का एक सही मिश्रण है:, कुमार ने कहा कि "देवनागरी और रोमन का यह मिश्रण अंतरराष्ट्रीय और भारतीय दर्शकों को अपील करेगा कई महीनो कि मेहनत के बाद मैंने 10 डिजाइन तैयार किये और उसके बाद कई फेर बदल करने के बाद मैंने इस डिजाईन का चयन कर आगे भेजा ."
हालांकि ये प्रतीक मुद्रा नोट या सिक्कों पर प्रिंट नहीं किया जायेगा बल्कि ये यूनिकोड' मानक और दुनिया के प्रमुख लिपियों में सुनिश्चित करने के लिए है ताकि यह आसानी से इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में प्रदर्शित किया जा सके .
यूनिकोड एक अंतरराष्ट्रीय मानक है जो विश्व स्तर पर टेक्स्ट डाटा कि लेन देन को अनुमति देता है.
ये प्रतीक देश में छह महीने की अवधि में अपनाया जाएगा, और दुनिया भर में 18 से 24 महीने के भीतर . सोनी ने बताया कि यह जल्द ही कंप्यूटर के कीबोर्ड और दुनिया भर में इस्तेमाल हो रहे सॉफ्टवेयर पर भी उपलध होजायेगा .
Sunday, May 23, 2010



फोटोजरनलिस्म
फोटो जुर्नलिस्म एक ऐसी ताक़त है जो तस्वीर की जुबां से कहानी बयां करती है .
खबरों को जानना और उस खबर से जुड़ना हर उस शख्स की दिलचस्पी होती है जो उसे महसूस करता है ...
हम खबरों को पढ़ते और देखते आये है. खबरों में शब्दों की जुबां जब फोटो ने ले ली तो लोगो की दिलचस्पी ख़बरों में और बढ़ने लग गयी.जो भी खबर आज हम इलेक्ट्रोनिक या प्रिंट मीडिया में देखते है वो फोटो जुर्निलस्म का ही हिस्सा है .
हर घटना को जब हम तस्वीरो में देखते है या क़ैद करते है तो वो फोटो जुर्निलस्म का ही रूप होती है .
तस्वीर के ज़रिये ख़बरों को इकट्ठा करना उसे ठीक करना और लोगो तक पौहचाना फोटो जुर्नलिस्म है.
फोटोग्राफी में आज एक बहुत अच्छा करियर है आज हम जो भी खबर देखते या पढ़ते है उन सभी क्षेत्रो में फोटोग्राफी कला का बहुत बड़ा योगदान है चाहे वो अखबार हो टीवी हो वेब हो या फिर किसी मैगज़ीन इन सभी में फोटोग्राफी एक बहुत अहम् किरदार निभाती है.
आज के दौर में फोटोग्राफी के बिना कुछ सोचना संभव ही नहीं है चाहे वो क्रिकेट का मैदान हो या या कोई युद्ध का मैदान या चाहे किसी फिल्म की ओपनिंग हो या फिर किसी की शादी, कैमरा क्लिक न हो ऐसा संभव ही नहीं.
हम अखबार खोलते है तो पहले पन्ने पर ही बड़ी सी फोटो सबको देश या विदेश की सबसे बड़ी घटना से अवगत कराती है.
फोटो जुर्नलिस्म की ताक़त का एहसास लोगो को पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध में हुआ जब जवानो के साथ फोटोग्राफर्स भी जंग के मैदान में उनकी लाइव तस्वीरे क्लिक करने उतर गए और लोग तक वो फोटो पहुंचाये जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे होंगे.
हम सब फैशन की दुनिया से सब रूबरू है और फैशन का फोटोग्राफ्स से कितना गहरा रिश्ता है ये सब जानते है.और जो वो करते है वो लोगों के ज़हन में ग्लेमर कि बहुत बड़ी छाप छोड़े हुए है .
फोटो जुर्नलिस्म के औज़ार : अपनी सोच और अपनी बात को फोटो में कैद कर लोगो तक पौहचाने की कला सबसे अहम शास्त्र है और जो इसके बाद शास्त्र आपके हाथ में होता है वो कैमरा है. कैमरे को अच्छे से जानना और उसके हर एक चीज़ को कैसे इस्तेमाल करना है वो फोटो जरनलीस्ट को और भी ज्यादा तेज़ तरार और सक्षम बनता है .फोटो जरनलीस्ट को पता होना चैहिये की उसे क्या क्लिक करना है किस एंगल से और किस खूबसूरती से वो उन खबरों को बयां कर सकता है .डिजिटल के इस दौर में डिजिटल कैमेरो ने फिल्म रोल (एनालोग ) की जनझट ही ख़त्म कर दी बस अब जो फोटो जरनलीस्ट को चाहिए वो है सही कैमर सही लेंस और अपना कंप्यूटर जिस पर फोटो एडिट सोफ्टवैर हो जिस पर वो अपनी सभी फोटो को सही कर सके जैसेवो उसके कलर लेवल को ठीक कर सकते है और भी बहुत कुच्छ फोटो जरनलिस्ट बस चुटकी भर समय में कर सकता है.
फोटो जुर्नलिस्म के प्रकार : फोटो जुर्नलिस्म सिर्फ खबरों या अखबारों तक ही सिमित नहीं है . फोटो जुर्नलिस्ट को हम कई अलग अलग क्षेत्रो में कैमरे से सब्दो को , नज़रो को और भावो को क़ैद करते देख सकते है.
फैशन , अडवेंचर, वाइल्ड लाइफ, प्रकृति, खेल इसके कुच्छ हिस्से है. उदहारण के तौर पर एक ऐसे फोटोग्राफर है जो सिर्फ थंडर और लाइटनिंग की ही फोटोग्राफी करते है. कई फोटोग्राफेर्स सिर्फ किसी एक चुनिन्दा चीजों की ही तस्वीरे लेते है और वो अपने उसी क्षेत्र में महारथी कहलाते है. तो अगर आप सोचते है कि आप फोटोग्राफी को अपना पेशा बनाना चाहते है तो फिर ये भी तय कर लीजिये कि आप को किस विषय में दिलचस्पी है.
फोटो जुर्नलिस्म कहाँ से कर सकते है : हालाँिक भारत में फोटो जरनलीसम के बारे में बहुत कम ही लोगो को पता है पर फिर भी कई संस्थान इस समय इस विषय को लेकर कई तरह की क्लास्सेस चला रहे है . कई कॉलेज डिप्लोमा करा रहे है तो कई डिग्री फोटो जरनलीसम की कई क्लास्सेस शोर्ट समर कोर्स के तौर पर भी कई संसथान चलते है. जैसे :
१) A J K mass communication jamia millia islamia : New Delhi
२) Bhartiya Vidya Bhavan New Delhi
३) Amity school of mass communication Noida
४) Jawahar Lal Nehru technological university Hyderabad
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